Tuesday, June 17, 2025
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इसरो का SpaDeX मिशन आज होगा लॉन्च, चांद पर भारतीय भेजने की दिशा में पहला कदम

ISRO SpaDEx PSLV-C60 Launch। इसरो ने भारत के ‘स्पैडेक्स’ मिशन को लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर ली है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सोमवार रात 9:58 बजे दो छोटे अंतरिक्षयानों को पीएसएलवी-सी60 रॉकेट से एक साथ प्रक्षेपित किया जाएगा। मिशन में सफलता के साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी में सक्षम दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

वहीं, अगर यह मिशन सफल हो जाता है तो भारत को अगले मिशनों चंद्रयान-4, खुद का अंतरिक्ष स्टेशन और चांद पर भारतीय उतरने के सपने को साकार में मदद मिलेगी।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा,”यह मिशन अंतरिक्ष डॉकिंंग में महारत हासिल करने में सक्षम देशों की सूची में भारत को स्थान दिलाएगा। यह प्रौद्योगिकी भारत के महत्वाकांक्षी मिशनों जैसे चंद्रमा से नमूने वापस लाने, भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (बीएएस) के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।

अगले हफ्ते शुरू की जाएगी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा,”पोलर सेटेलाइट लॉंच व्हीकल (पीएसएलवी) दो छोटे अंतरिक्ष यानों ‘चेजर और टारगेट’ को 476 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित करेगा। स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स) जनवरी के पहले सप्ताह में किया जाएगा।

मिशन का प्राथमिक उद्देश्य दो अंतरिक्ष यान (चेजर और टारगेट) के डा¨कग और अनडॉकिंग के लिए आवश्यक तकनीक को प्रदर्शित करना है। अंतरिक्ष यान के नियंत्रण और पेलोड संचालन को भी प्रदर्शित किया जाएगा। एक अंतरिक्षयान से दूसरे अंतरिक्षयान के जुड़ने को डा¨कग और अंतरिक्ष में जुड़े दो यानों के अलग होने को अनडॉकिंग कहते हैं।

दो वर्षों तक पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे अंतरिक्षयानडॉकिंग और अनडॉकिंग प्रयोगों के प्रदर्शन के बाद दोनों अंतरिक्षयान दो वर्षों तक पृथ्वी की परिक्रमा करते रहेंगे। एसडीएक्स 01 या चेजर में हाई रिजाल्यूशन कैमरा लगा है जबकि एसडीएक्स 02 या टारगेट में दो पेलोड हैं। ये पेलोड हाई रिजाल्यूशन तस्वीरें, प्राकृतिक संसाधन निगरानी में मदद करेंगे।

पीओईएम -4 के तहत होंगे प्रयोग
पीएसएलवी-सी60 मिशन के तहत भारत पीओईएम-4 यानी पीएसएलवी आर्बिटल एक्सपेरिमेंटल माड्यूल-4 के तहत प्रयोग करेगा। इसके लिए पीएसएलवी अपने साथ 24 पेलोड भी लेकर जाएगा। दरअसल पीओईएम इसरो का प्रायोगिक मिशन है इसके तहत प्लेटफार्म के रूप में पीएस4 चरण का उपयोग करके प्रयोग किया जाता है।

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