Friday, December 19, 2025
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मिशन महिला-शक्ति के स्वर्णिम दो वर्ष

मध्यप्रदेश में बीते दो वर्ष महिला सशक्तीकरण, सुरक्षा, सम्मान और समग्र विकास के अद्वितीय कालखंड के रूप में दर्ज हुए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दूरदर्शी नेतृत्व और संवेदनशील दृष्टिकोण से प्रदेश में महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव  की मंशा स्पष्ट रही है—हर महिला को सुरक्षित जीवन, हर बालिका को प्रोत्साहन तथा हर बच्चे को बेहतर भविष्य का अधिकार मिले। इन्हीं लक्ष्यों को मूर्त रूप देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अनेक ऐतिहासिक पहलें की गईं, जिनसे समाज में सकारात्मक परिवर्तन की व्यापक लहर उत्पन्न हुई है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में मैं यह बताते हुए गर्व का अनुभव करती हूँ कि मिशन वात्सल्य के माध्यम से प्रदेश में हजारों बच्चों को नए जीवन अवसर प्रदान किए गए हैं। स्पॉन्सरशिप योजना ने कमजोर परिस्थितियों में रह रहे बच्चों के लिए सुरक्षा कवच का कार्य किया है, जिसके अंतर्गत प्रति माह 4 हजार रुपये की वित्तीय सहायता ने परिवारों और संस्थाओं दोनों को सशक्त बनाया है। वर्ष 2024-25 में 20,243 बच्चों को इस सहायता का लाभ मिला और वर्ष 2025-26 के लिए 32,896 बच्चों के प्रकरण स्वीकृत किए जा चुके हैं। चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 ने चौबीसों घंटे त्वरित सेवा उपलब्ध कराते हुए दो वर्षों में लगभग 48,872 बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की है।

महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना सबसे क्रांतिकारी पहलों में से एक रही है। कई राज्यों ने इसका अनुसरण किया है। जून 2023 से अक्टूबर 2025 तक महिलाओं को नियमित रूप से 29 किस्तों के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। तीन बार विशेष सहायता राशि के रूप में प्रति बहन 250 रुपये अतिरिक्त प्रदान किए गए, जिससे लाखों परिवारों को सीधा आर्थिक संबल मिला। कुल 44,917.92 करोड़ रुपये महिलाओं के खातों में पारदर्शी डिजिटल अंतरण के माध्यम से प्रदान किए गए, जिसने मध्यप्रदेश की महिलाओं को आत्मनिर्भरता की नई दिशा दी है।

मिशन शक्ति के अंतर्गत वन स्टॉप सेंटरों, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पिंक ड्राइविंग लाइसेंस, जेंडर चैंपियन पहल और सशक्त वाहिनी कार्यक्रमों ने महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तीकरण को और मजबूती प्रदान की है। वर्ष 2024-25 में वन स्टॉप सेंटरों ने 31,763 महिलाओं को सहायता प्रदान की और 2025-26 में अक्टूबर तक 20,332 महिलाओं को त्वरित राहत और परामर्श उपलब्ध कराया। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत नवजात बालिकाओं का स्वागत, पूजा-अर्चना और व्यापक पौधारोपण ने समाज में बेटियों के सम्मान की संस्कृति को मजबूत किया है। पिंक ड्राइविंग लाइसेंस और जेंडर चैंपियंस जैसी पहलें बालिकाओं के आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को नई उड़ान दे रही हैं।

राज्य एवं जिला स्तर के हब फॉर एम्पावरमेंट ऑफ वुमन ने जनजागरूकता की दृष्टि से अभूतपूर्व कार्य किया है। 100 दिवसीय अभियान, घरेलू हिंसा निरोधक कार्यक्रम, बाल विवाह मुक्ति प्रतिज्ञा, PC-PNDT अधिनियम जागरूकता अभियान, साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण और आत्मरक्षा कार्यक्रमों ने समाज में व्यापक संवेदनशीलता विकसित की है। वर्ष 2024-25 में 1.47 लाख से अधिक गतिविधियाँ आयोजित हुईं और लाखों नागरिकों की भागीदारी ने यह सिद्ध किया कि मध्यप्रदेश, महिला सम्मान और सुरक्षा के विषय में समाज को साथ लेकर आगे बढ़ रहा है।

सखी निवास (वर्किंग वुमन हॉस्टल) और शक्ति सदन ने कार्यरत महिलाओं तथा संरक्षण की आवश्यकता वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित आवास का मजबूत तंत्र निर्मित किया है। नए हॉस्टलों के निर्माण से प्रदेश में महिलाओं के लिए और अधिक सुरक्षित सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। महिला हेल्पलाइन 181 ने दो वर्षों में लगभग 1.7 लाख से अधिक महिलाओं को त्वरित सहायता प्रदान की है, जो शासन की संवेदनशीलता का प्रमाण है।

आंगनवाड़ी सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। 12,670 मिनी आंगनवाड़ियों को पूर्ण आंगनवाड़ी में उन्नत किया गया, जिसके परिणामस्वरूप सेवाओं की गुणवत्ता और महिलाओं के लिए रोजगार दोनों में वृद्धि हुई है। ‘चयन पोर्टल’ की शुरुआत ने भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया है और हजारों कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को नई नियुक्ति मिली है। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के माध्यम से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गई है।

जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में पीएम-जनमन तथा धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्थान अभियान के माध्यम से सैकड़ों नए आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन प्रारंभ किया गया है। इससे जनजातीय महिलाओं और बच्चों को पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ उनके गांवों तक उपलब्ध कराई गई हैं। हजारों भवनों के निर्माण और उन्नयन से आंगनवाड़ी व्यवस्था अधिक सशक्त और सुरक्षित बनी है।

पोषण अभियान के अंतर्गत लाखों बच्चों के विकास की निगरानी के लिए अत्याधुनिक उपकरण प्रदान किए गए हैं। फेस-मैच आधारित सत्यापन ने हितग्राहियों को पारदर्शी और समयबद्ध लाभ दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसे अभियानों ने पोषण और पर्यावरण—दोनों आयामों को जोड़कर जनभागीदारी का नया मॉडल प्रस्तुत किया है।

इन सभी उपलब्धियों के मूल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की वह स्पष्ट सोच और संवेदनशील दृष्टिकोण है, जिसके कारण आज मध्यप्रदेश महिला और बाल विकास के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। प्रदेश सरकार का लक्ष्य केवल योजनाओं की संख्या बढ़ाना नहीं, बल्कि हर महिला, हर बालिका और हर बच्चे तक सुरक्षा, सम्मान, समान अवसर और आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण की रोशनी पहुँचाना है। आने वाले वर्षों में भी यह अभियान निरंतर जारी रहेगा और मध्यप्रदेश, आत्मनिर्भर, समृद्ध और सशक्त समाज के रूप में नए मानक स्थापित करेगा।

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