Wednesday, December 31, 2025
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कला और साहित्य मन को प्रदान करते हैं आत्मिक अनुभूति : श्री पटेल राज्यपाल ने दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के स्थापना पर्व पर किया साहित्यकारों को सम्मानित, शोध केन्द्र का उद्घाटन

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि कला और साहित्य मन को आत्मिक अनुभूति प्रदान करते हैं। अंतर्मन को प्रसन्नता और सुकून से भरते हैं। साहित्यकार अपनी लेखनी से जहां समकालीन समाज की विसंगतियों को उजागर करता है, वही भावी पीढ़ियों के लिए दिशा और दृष्टि भी प्रदान करता है। वे समाज और देश की सच्ची सेवा करते हैं। उनका सम्मान देश का सम्मान है।

राज्यपाल श्री पटेल मंगलवार को दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय भोपाल के स्थापना पर्व के अवसर पर दुष्यन्त शोध केन्द्र के उद्घाटन और अलंकरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने वरिष्ठ साहित्यकार श्री उदयप्रकाश को राष्ट्रीय दुष्यन्त अलंकरण सम्मान- 2025 से सम्मानित किया। श्रीमती कांति शुक्ला को दुष्यन्त सुदीर्घ साहित्य साधना सम्मान-2025 और डॉ. बहादुर सिंह और दुष्यन्त आंचलिक भाषा सम्मान- 2025 से सम्मानित किया। राज्यपाल पटेल ने साहित्यकार श्री अरुण तिवारी, श्री जवाहर कर्नाट और श्री विजय वाजपेयी को भी सम्मानित किया। सभी सम्मानित साहित्यकारों को बधाई और शुभकामनाएं दी।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि स्थापना पर्व पर साहित्य सेवियों का सम्मान केवल संस्थान का उत्सव नहीं, बल्कि हिंदी साहित्य की जीवंत परंपरा का उत्सव है। यह इसलिए भी विशेष है क्योंकि अपनी लेखनी से भाषा, समाज और संवेदना को समृद्ध करने और महान दुष्यंत जी की विरासत को आगे बढ़ाने वाले साहित्य सेवियों का आज सम्मान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि साहित्य केवल शब्दों का संकलन नहीं होता, वह समाज का दर्पण होता है। हमारी सांस्कृतिक चेतना का जीवंत प्रमाण भी होता है। महान दुष्यंत कुमार ऐसे ही रचनाकार थे, जिन्होंने जन-सरोकारों से जुड़ी रचनाओं के माध्यम से आम आदमी की पीड़ा, उसकी आकांक्षाओं और संघर्षों को अत्यंत सशक्त स्वर दिया। यही कारण है कि उनकी रचनाएँ केवल पढ़ी नहीं जातीं, बल्कि महसूस की जाती हैं। वे आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी अपने समय में थीं।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि साहित्य को केवल मनोरंजन का साधन मात्र नहीं बल्कि समाज के परिष्कार का माध्यम बनाना होगा। क्षेत्रीय भाषाओं, बोलियों तथा लोक कलाओं में बसी माटी की सुगंध और लोक धड़कन को रचनाओं में शामिल करना होगा। उन्होंने कहा कि साहित्य साधकों को प्राचीन विरासत और आधुनिक नवाचार के बीच एक सशक्त सेतु के रूप में आगे आना होगा, जिसमें परंपरा और प्रगति दोनों साथ चल सकें।

राज्यपाल श्री पटेल का कार्यक्रम का प्रारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया। दुष्यन्त शोध केन्द्र का उद्घाटन किया। संग्रहालय का अवलोकन किया। राज्यपाल श्री पटेल का पुष्पगुच्छ से स्वागत और स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया गया। उन्होंने संग्रहालय की पत्रिका “प्रेरणा” के विशेषांक का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन संग्रहालय की सचिव श्रीमती करूणा राजुरकर ने दिया। विश्वरंग के निदेशक श्री संतोष चौबे ने हिन्दी गजल के प्रणेता दुष्यन्त कुमार का पुण्य स्मरण किया। उन्होंने सभी सम्मानित साहित्यकारों को बधाई दी। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल के सिकल सेल जागरूकता प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती विशाखा ने किया। आभार संग्रहालय के अध्यक्ष श्री रामराव वामनकर ने माना। कार्यक्रम में संग्रहालय के सदस्य और साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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